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'साम्प्रदायिक तनाव'के मुहाने पर बिहार का बेतिया शहर

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अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

बेतिया (पश्चिम चम्पारण) : धार्मिक जुलूस हमेशा उन्माद का कारण बनते रहे हैं. भारत में हुए अधिकतर सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में भी धार्मिक जुलूस ही रहे हैं. मंगलवार की रात और बुधवार के दिन बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के बेतिया शहर में नागपंचमी मनाई जाएगी. इस दिन महावीरी अखाड़े का जुलूस निकाला जाता है.

18-19 अगस्त को महावीरी अखाड़े के जुलूस को लेकर शहर में तरह-तरह की अफ़वाहें फैली हुई हैं. सूत्र बताते हैं कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दंगा होने की संभावना है. शहर के लोगों में डर व भय है.


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सोमवार को शहर में निकाली गई शोभा यात्रा

स्थानीय लोग बताते हैं कि 2013 में हिंसा की एक अहम वजह शायद अखाड़े में निकलने वाली झांकी थी. इस बार भी अफ़वाह है कि याकूब मेनन की फांसी और अन्य थीमों पर झांकियां निकालने की तैयारियां चल रही हैं, जिससे एक खास समुदाय के भावनाओं को भड़काया जा सके.

इतना ही नहीं, नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर स्थानीय बताते हैं कि शहर में बजरंग दल व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता काफी तेज़ी से बढ़ी है. वहीं शहर में शिवसेना भी सक्रिय हो चुकी है. बल्कि स्थानीय अख़बारों की रिपोर्ट्स बताती हैं कि शिवसेना भी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आज़माने की सोच रही है. इन सबके बीच अखाड़े के जुलूस की तैयारी ज़ोरों पर है.

हालांकि दो दिन पूर्व अखाड़े के लिए चंदे को लेकर सब्ज़ीफ़रोशों से मार-पीट की घटना हो चुकी है. एक सब्जी विक्रेता का कहना है कि बसवरिया के जगजीवन नगर के अखाड़े के लिए वहां के लोग बाज़ार में आकर चंदा मांग रहे थे. वे लोग सबसे ज़बरदस्ती 500 रूपये की राशि बतौर चंदा मांग रहे थे. मना करने पर पहले तू-तू मैं-मैं हुई. पहले सब्ज़ीफरोशों ने उन्हें खदेड़ कर भगा दिया. फिर चंदा मांगने वाले तकरीबन 150 की संख्या में शाम में लाठियों के साथ आए और सब्ज़ी बेचने वालों पर जमकर लाठियां भांजी. जिसमें कई लोगों को चोटें आई हैं.

लोगों की यह भी शिकायत है कि किसी स्थानीय मीडिया ने मार-पीट की इस घटना की ख़बर अपने अखबारों में प्रकाशित नहीं की.

स्पष्ट रहे कि दो साल पूर्व 12 अगस्त, 2013 में महावीरी अखाड़े के दौरान छिटपुट हिंसा हुई थी और असामाजिक तत्वों ने रात को अखाड़े में दुकानों, मकानों और गाड़ियों को नुक़सान भी पहुंचाया था. खासतौर से कई सब्ज़ी व फल बेचने वालों के दुकानों को लूटा गया था, साथ ही मुस्लिम समाज से जुड़े स्थानों जैसे कब्रिस्तान आदि पर हमले भी किए गए थे. यही नहीं प्रशासन की छूट के कारण दिन में भी अखाड़ा निकाला गया. शहर का माहौल ख़राब करने की कोशिशें सुर्खियां भी बनी थीं. तब से प्रशासन ने मुसलमानों के मुहर्रम के अखाड़े व हिन्दुओं के महीवीरी अखाड़े को रात में निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाई गयी है.


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महावीरी अखाड़े की तैयारी करता शहर का कोतवाली चौक

जानकार बताते हैं कि 2013 की यह हिंसा 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नियोजित की गयी थी जिसका चुनाव में लाभ भी मिला. लोग बताते हैं कि भगवान की कृपा थी कि बहुत तेज़ बारिश हो गई, नहीं तो शहर को आग में झोंकने की पूरी तैयारी थी.

लोगों का यह भी मानना है कि इस बार भी परिस्थितियां कुछ ऐसी ही हैं. बिहार विधानसभा चुनाव बिल्कुल सिर पर है. ऐसे में ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

हालांकि एएसपी राजेश कुमार ने पुलिस व लोगों को सचेत रहने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि ‘कहीं कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हम सभी को सचेत रहना होगा.’ वहीं एसडीओ सुनील कुमार ने पूर्व के दंगाईयों पर विशेष नज़र रखने व आवश्यकता देखने पर क़ानूनी कार्रवाई करने पर भी ज़ोर दिया है.

इतना ही नहीं, किसी भी तरह के तनाव से बचने के लिए बेतिया पुलिस ने एक साहसिक शुरुआत करते हुए महावीरी अखाड़े के जुलूस के दौरान हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाने का फ़ैसला लिया है. प्रशासन ने हथियार व लुकार पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही इसके कुछ नियम-क़ानून भी लागू किए गए हैं, जिसका पालन हर किसी को करना है.

प्रशासन के मुताबिक अखाड़ा निकालने के लिए प्रशासन से इजाज़त लेनी होगी और जिसके नाम से लाईसेंस निर्गत किया जाएगा. अखाड़ा की पूरी ज़िम्मेदारी उसी व्यक्ति की होगी. अखाड़ा में हथियार व लुकार के प्रदर्शन पर प्रतिबंध रहेगा और यदि ऐसे कोई करता पकड़ा गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा कि अखाड़ा रात में निकालने की इजाज़त नहीं होगी, ये सिर्फ दिन में ही निकलेगा और दिन ढ़लने के साथ ही अखाड़ा समाप्त हो जाएगा.

एएसपी राजेश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नियम का उल्लंघन करते कोई भी पकड़ा गया तो उस पर कार्रवाई तय है. अखाड़ा में नशा पान करने व हुड़दंगियों पर पुलिस की विशेष नज़र रहेगी. सुरक्षा के लिहाज़ से एवं विशेष परिस्थिति के लिए पुलिस व प्रशासन ने कई योजना बनाई है. सभी अखाड़ों की वीडियोग्राफ़ी भी कराई जाएगी.

इसके साथ ही शहर में शांति समिति भी गठित कर दी गई है. शांति समिति ने भी रात का अखाड़ा न निकालने पर सहमति जताई है.

इन सबके बीच शहर का माहौल काफी शांत है. शहर के इलमराम चौक के शिव मंदिर में कलश स्थापना को लेकर कल दिन में शांतिपूर्वक एक शोभा यात्रा भी निकाली गई. पूरा शहर ‘जय श्री राम’ के नारों से गूँज उठा. बीच-बीच में सनी देओल का एक फिल्मी डायलॉग ‘तुम दूध मांगोंगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोंगे को चीर देंगे’ शिव भक्तों को उत्साहित कर रहा था. उधर महावीरी अखाड़े की तैयारी भी ज़ोर-शोर से चल रही है. शहर के कई चौक चौराहों पर रात में ढ़ोल व बाज़े के साथ तैयारियां की जा रही है. लाठी व तलवार के साथ करतब दिखाने की प्रैक्टिस जारी है.

बेतिया में घटी पिछली घटनाओं पर पढ़ें -
‘Modi-fication’ of Bettiah


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