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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में शरद यादव

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By TCN News,

आज से शुरू हो रहे समाजवादी पार्टी के तीन-दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ के बीच समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव को अपना मुखिया चुनने की औपचारिकता निभा चुकी है.
बकौल राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव, इस प्रकार मुलायम सिंह यादव लगातार नौवीं बार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं, जिस पर अगले तीन साल तक के लिए वे बने रहेंगे. मुलायम सिंह यादव ने केन्द्र सरकार को लगभग ललकारते हुए कहा कि सीमापार से हो रही फायरिंग के बाद भी सरकार चुप बैठी है. इसके जवाब के लिए मोदी के पास सचमुच का 56 इंच का सीना होना चाहिए.

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को विजय मन्त्र देते हुए कहा कि कार्यकर्ता किसी भी सूरत में जनता की उपेक्षा न करें. उन्होंने कार्यकर्ताओं को यह भी नसीहत दी कि वे अपने आचरण में सुधार लाएं.


Lalu,Mulayam and Sharad Yadav
मुलायम, लालू और शरद यादव (फ़ाइल फोटो, साभार - द हिन्दू)

लेकिन इन सभी खबरों से अधिक जिस घटना ने खबरनवीसों और सरकारी गलियारों का ध्यान खींचा है, वह है इस अधिवेशन में जनता दल यूनाइटेड के मुखिया शरद यादव की उपस्थिति. इस उपस्थिति से कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद जल्द ही मुलायम और शरद एक हो सकते हैं. इसका संकेत शरद यादव की बात से भी मिल जाता है कि हम दोनों (मुलायम और शरद) बहुत अच्छे दोस्त हैं. हम शुरू से ही साथ रहे हैं और इस समय के राजनीतिक हालातों और उनसे उपजे संवैधानिक संकट को हमें बचाना है.

हालांकि शरद यादव ने सपा से हाथ मिलाने की बात पर कोई बयान देने से इनकार कर दिया. बिहार में पहले ही राजद और जदयू ने गठबंधन बना लिया है, जिसका खुशहाल परिणाम हाल में ही हुए चुनावों में भी देखने को मिल गया. इस दशा में यह संभावना एकदम मजबूत है कि जनता परिवार को साथ में लाने की बात करने वाले शरद यादव भविष्य में समाजवादी पार्टी के साथ खड़े होंगे. सूत्रों की मानें तो इस अधिवेशन में एचडी देवगौड़ा और नवीन पटनायक के शिरक़त करने की भी संभावनाएं हैं.

प्रश्न उठता है कि क्या समाजवादी पार्टी अपनी इस शिकस्त से कोई सबक सीख पायी है? इसका जवाब देना मुश्किल है, क्योंकि हाल ही में हुए उपचुनावों में पार्टी की शानदार जीत के बावजूद उत्तर प्रदेश में दिनों-दिन मटियामेट होती कानून व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है. अभी तक प्रदेश सरकार विद्युत व्यवस्था में कोई भी सुधार ला पाने में सफल रही है. ऐसे में यह देखने की बात होगी कि लोकसभा चुनावों में इतनी बुरी हार का सामना करने वाली समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय स्तर और कुछ साल बाद होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में क्या रंग दिखा पाती है?


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