By TwoCircles.Net staff reporter,
गुजरात के एंटी-टेररिज़म बिल में ऐसा क्या है जो उसका पास होना एक बड़ी खबर बनता है, सुप्रीम कोर्ट ने की बाबरी मस्जिद मामले पर एक बड़ी चोट, हाशिमपुरा मामले में कांग्रेस का विरोध कितना सही, विज्ञान और सरकार में दूरी कैसे और क्या है घाटी की आज की कहानी....पांच खबरों की पड़ताल, आपके लिए.
1. गुजरात में एंटी-टेररिज़म बिल विधानसभा में पास
गुजरात सरकार ने अपने पिछले दो प्रयासों में असफल रहने के बाद विवादित आतंकवाद निरोधक कानून पास करा लिया है. गुजरात आतंकवाद एवं संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (गुजकोक) के संवर्धित मसविदे को मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया, जहां इसे सभा सदस्यों द्वारा पारित कर दिया गया है. इस बिल के विवादित होने का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके पहले पिछले बारह सालों में इस दो बार विधानसभा ने पारित कर दिया था. लेकिन बार-बार यह बिल राष्ट्रपति की बेंच से वापिस लौट आता था. इस बिल की ख़ास बातें यह हैं कि इसमें आरोपी को हिरासत में रखने की तयशुदा अवधि 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन करने की सिफारिश की गयी है; इसके साथ ही साथ सरकारी वकील की अनुशंसा पर जांच कर रही संस्था चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिनों का वक्त ले सकती है, जो वर्तमान अवधि से दुगुना समय है.इसके पहले दोनों बार तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इस बिल के लिए संशोधन सुझाकर वापिस कर दिया है. लेकिन इस बार ‘सैयां भये कोतवाल, तो डर काहे का’ वाले हिसाब से गुजरात सरकार केन्द्र सरकार को विधानसभा में पारित मसविदा भेजेगी, जिसके पास कर दिए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं. गुजरात में काउंटर-टेररिज़म के नाम पर जो भी हुआ और किया जा रहा है, उससे कमोबेश सभी वाकिफ़ हैं. एक के बाद एक फर्जी एनकाउंटरों की ज़मीन गुजरात ही बना बैठा है, इस लिहाज़ से इस बिल से समाज के एक ख़ास हिस्से को निशाने पर लिया जाएगा, इसकी आशंका बेहद मजबूत है.
(Courtesy: Wikipedia)
2. ‘एक धक्का और दो’ – यानी आडवाणी, जोशी, उमा और कल्याण को नोटिस
बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और कल्याण सिंह समेत 20 लोगों को कानूनी नोटिस जारी कर दी है. भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के साथ-साथ साध्वी ऋताम्भरा, विनय कटियार और अशोक सिंघल के नाम भी नोटिस पाने वालों की सूची में शामिल हैं. रोचक बात यह भी है कि इन बीस लोगों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को भी नोटिस दे दी है.फैजाबाद निवासी हाजी महबूब अहमद की तरफ़ से दायर की गयी विशेष याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला लिया है. याचिका में केन्द्र की भाजपा सरकार के मद्देनज़र सीबीआई की निष्पक्षता पर आपत्ति जताई गयी है. ज्ञात हो कि इन सभी नोटिस पाने वालों के लोगों को ट्रायल कोर्ट ने साजिश के आरोप से बरी कर दिया था, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरक़रार रखा था. जिस तरह से गुजरात के बड़े-बड़े आरोपी कई-कई मामलों में बाइज्जत बरी और रिहा होते जा रहे हैं, उस लिहाज़ से यह मामला और नोटिस कितनी दूर तक चलते हैं, यह देखने की बात होगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता और साफ़गोई को देखते हुए अयोध्या-फैजाबाद के बाशिंदे न्याय की आस देख रहे हैं.
3.हाशिमपुरा फैसले पर कांग्रेस का विरोध
हां, सही पढ़ा आपने. हाशिमपुरा के मामले पर आए फैसले ने कांग्रेस ने अपना विरोध दर्ज किया है. पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने कांग्रेस की ओर से कहा है कि 42 मुस्लिमों के मारे जाने के बाद भी न्याय में देरी एक अजीब बात है. कांग्रेस के हिसाब से इस तरह का अन्याय किसी दृष्टि से ठीक नहीं है. शकील अहमद ने आगे कहा है कि वे उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वे इस फैसले के खिलाफ़ अपील करें ताकि इस दोषियों को सज़ा मिल सके. मुस्लिम समुदाय को अपनी ओर खींचने की कांग्रेस की इस कोशिश की कलई खुल जाती है जब तथ्य सामने आते हैं. जिस समय यह मामला हुआ उस समय प्रदेश में कांग्रेस के एन.डी. तिवारी मुख्यमंत्री थे. हालांकि उसके बाद से आज तक कभी भी कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में नहीं रही. लेकिन जब इस मामले को 2002 में दिल्ली स्थानांतरित किया गया, तब से लेकर 2014 तक केन्द्र और दिल्ली दोनों में कांग्रेस सत्ता पर मौजूद थी.ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रशासनिक स्तर पर कांग्रेस ने तब कार्रवाई क्यों नहीं की?
4. सरकार की नज़र विज्ञान से दूर?
कैसा लगेगा जब आपको पता चले कि आपके द्वारा चुना गया जन-प्रतिनिधि यह कहे कि तम्बाकू के सेवन से कैंसर नहीं होता है. भाजपा सांसद और संसदीय पैनल के प्रमुख दिलीप गांधी के एक ताजे बयान से सांसदों के वैज्ञानिक समझ की कलई खुलती नज़र आ रही है. दिलीप गांधी ने कहा है कि देश में कैंसर और तम्बाकू को लिंक करने वाला कोई सर्वे या शोध नहीं कराया गया है. सारे शोध विदेशों में हुए हैं. इतना क्या कम था कि उन्होंने आगे कहा कि क्या पता इससे कैंसर होता भी है या नहीं? यह बात गांधी ने तम्बाकू कंपनियों के मालिकों की शिक़ायत पर सुनवाई के दौरान कही. दरअसल 1 अप्रैल से तम्बाकू उत्पादों के पैकेटों पर चेतावनी का आकार 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने की योजना थी, जिसके बचाव में गांधी ने ऐसा बयान दिया है. सम्भावना यह भी है कि तम्बाकू उत्पादों पर से यह चेतावनी अब हट जाएगी.अब दिलीप गांधी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से डांट और नसीहतें मुफ्त में मिल रही हैं. लेकिन दीगर की बात है कि मौजूदा केन्द्र सरकार के सांसद कोई भी बयान देने के पहले विचार की कोई ज़रूरत नहीं समझते हैं.
5. कश्मीर बेलगाम
कश्मीर में बाढ़ से हालात और ज़्यादा ख़राब होते जा रहे हैं लेकिन केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हालात इतने भी बुरे नहीं हैं. मरने वालों की संख्या बढ़कर 19 पहुंच गयी है वहीं भूस्खलन से मरने वाले 16 लोगों में से 15 मृतकों की लाशें बरामद कर ली गयी हैं. झेलम नदी खतरे के निशान से नीचे तो बह रही है लेकिन स्थानीय प्रशासन की मानें तो घाटी के लिए अगले 48 घण्टे खतरनाक हैं. बस पिछले छः महीनों में बाढ़ से पीड़ित लोग लगातार दूसरी बार घर-बार छोड़कर पलायन करने के लिए मजबूर हैं. ज़ाहिर है कि हालात पिछली बार जितने बुरे नहीं हैं, लेकिन देखना है कि इन जनता की मूलभूत समस्याओं और मौसम की हलकी-सी करवट भर से प्रभावित हो जा रहे जन-जीवन की व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए पीडीपी-भाजपा की सरकार क्या कदम उठाती है?