By TCN News,
लखनऊ: भड़काऊ भाषण देने में जवाब तलब किए जाने और चुनाव आयोग की रोक के बावजूद भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ की रैली में हिस्सा लिया और जनसमूह को संबोधित भी किया. लव जिहाद को लेकर भड़काऊ वक्तव्य देने के फलस्वरूप चुनाव आयोग ने योगी की इस रैली पर रोक लगा दी थी, लेकिन योगी ने कानून को धता बताते हुए न सिर्फ़ योगी आदित्यनाथ ने रैली की बल्कि उन्होंने प्रशासन पर सियासी दबाव में काम करने का आरोप भी लगा दिया.
कथित भड़काऊ बयान के बाद समाजवादी पार्टी ने आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी. चुनाव आयोग ने आदित्यनाथ से जवाब मांगते हुए लखनऊ रैली पर रोक भी लगा दी थी. रैली में शिरकत करने के पहले आदित्यनाथ ने आयोग को अपना स्पष्टीकरण सौंपा, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई भड़काऊ बयान नहीं दिया है और न ही चुनाव आचार संहिता का कोई उल्लंघन किया है. इस रैली में आदित्यनाथ के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी और दो सांसद भी मौजूद थे.
इतना ही नहीं, चुनाव आयोग की तल्खी के बावजूद आदित्यनाथ ने कतिपय रूप से साम्प्रदायिक साबित होता भाषण दिया. उन्होंनें प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी एक ख़ास सम्प्रदाय को हित पहुंचाकर अपना वोटबैंक मजबूत कर रही है. आयोग पर निशाना साधते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘प्रशासन हम लोगों को नोटिस इसलिए दे रहा है क्योंकि हम समाजवादी पार्टी के साम्प्रदायिक एजेंडे को रोकने का काम कर रहे हैं. यहां मुस्लिम कन्याओं को कन्या विद्याधन मिलता है, लेकिन हिन्दू कन्याओं को नहीं. कब्रिस्तान की दीवार का निर्माण कराकर सरकार एक ख़ास समुदाय को खुश करना चाह रही है लेकिन प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है.’
यह जानने की बात है कि प्रदेश में उपचुनावों के मद्देनज़र प्रचार की प्रक्रिया कल खत्म हो जाएगी. योगी आदित्यनाथ ने कानून और आयोग के आदेश की धज्जी उड़ाते हुए जो रैली की है, उससे साफ़ ज़ाहिर है कि आदित्यनाथ ने चुनाव-प्रचार में अंतिम झोंक तक काम करने का प्रयास किया है, भले ही वह प्रयास सामाजिक तौर पर जो भी रंग ले रहा हो.